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Text of PM’s Message at Ashadha Purnima-Dhamma Chakra Day programme

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Prime Minister’s Office

Text of PM’s Message at Ashadha Purnima-Dhamma Chakra Day programme


Posted On:
24 JUL 2021 8:52AM by PIB Delhi

नमो बुद्धाय!

नमो गुरुभ्यो !

आदरणीय राष्ट्रपति जी,

अन्य अतिथिगण,

 देवियों और सज्जनों !

 

आप सभी को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस और आषाढ़ पूर्णिमा की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज हम गुरु-पूर्णिमा भी मनाते हैं, और आज के ही दिन भगवान बुद्ध ने बुद्धत्व की प्राप्ति के बाद अपना पहला ज्ञान संसार को दिया था। हमारे यहाँ कहा गया है, जहां ज्ञान है वहीं पूर्णता है, वहीं पूर्णिमा है। और जब उपदेश करने वाले स्वयं बुद्ध हों, तो स्वाभाविक है कि ये ज्ञान संसार के कल्याण का पर्याय बन जाता है। त्याग और तितिक्षा से तपे बुद्ध जब बोलते हैं तो केवल शब्द ही नहीं निकलते,बल्कि धम्मचक्र का प्रवर्तन होता है। इसीलिए, तब उन्होंने केवल पाँच शिष्यों को उपदेश दिया था, लेकिन आज पूरी दुनिया में उन शब्दों के अनुयायी हैं, बुद्ध में आस्था रखने वाले लोग हैं।

 

साथियों,

सारनाथ में भगवान बुद्ध ने पूरे जीवन का, पूरे ज्ञान का सूत्र हमें बताया था। उन्होंने दुःख के बारे में बताया, दुःख के कारण के बारे में बताया, ये आश्वासन दिया कि दुःखों से जीता जा सकता है, और इस जीत का रास्ता भी बताया। भगवान बुद्ध ने हमें जीवन के लिए अष्टांग सूत्र, आठ मंत्र दिये। सम्मादिट्ठी, सम्मा-संकप्पो, सम्मावाचा, सम्मा-कम्मन्तो, सम्मा-आजीवो, सम्मा-वायामो, सम्मासति, और सम्मा-समाधि। यानी कि, सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक मन, सम्यक समाधि यानी मन की एकाग्रता। मन, वाणी और संकल्प में, हमारे कर्मों और प्रयासों में अगर ये संतुलन है तो हम दुःखों से निकलकर प्रगति और सुख को हासिल कर सकते हैं। यही संतुलन हमें अच्छे समय में हमें लोककल्याण की प्रेरणा देता है, और मुश्किल में धैर्य रखने की ताकत देता है।

 

साथियों,

आज कोरोना महामारी के रूप में मानवता के सामने वैसा ही संकट है जब भगवान बुद्ध हमारे लिए और भी प्रासंगिक हो जाते हैं। बुद्ध के मार्ग पर चलकर ही बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना हम कैसे कर सकते हैं,

भारत ने ये करके दिखाया है। बुद्ध के सम्यक विचार को लेकर आज दुनिया के देश भी एक दूसरे का हाथ थाम रहे हैं, एक दूसरे की ताकत बन रहे हैं। इस दिशा में ‘इंटरनेशनल बुद्धिष्ट कनफेडरेशन’ का ‘केयर विथ प्रेयर इनिशिएटिव‘ ये भी बहुत प्रशंसनीय है।

 

साथियों,

धम्मपद कहता है-

 

न ही वेरेन वेरानि,

सम्मन्तीध कुदाचनम्।

 

अवेरेन च सम्मन्ति,

एस धम्मो सनन्ततो॥

 

अर्थात, वैर से वैर शांत नहीं होता। बल्कि वैर अवैर से, बड़े मन से, प्रेम से शांत होता है। त्रासदी के समय में दुनिया ने प्रेम की, सौहार्द की इस शक्ति को महसूस किया है। बुद्ध का ये ज्ञान, मानवता का ये अनुभव जैसे जैसे समृद्ध होगा, विश्व सफलता और समृद्धि की नई ऊंचाइयों को छूएगा।

 

इसी कामना के साथ एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। आप स्वस्थ रहें और मानवता की सेवा करते रहें!

 

धन्यवाद।

 

*****

DS

 

 

 

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